MIRANDA HOUSE HAS BEEN RANKED NO.1 AMONG COLLEGES BY NIRF RANKING 2023


मिरांडा हाउस की हिंदी नाट्य समितिअनुकृति विगत छह दशकों से विश्वविद्यालय रंगक्षेत्र मेंअपनी निरंतरता और सक्रियता के लिए जानी-पहचानी जाती है। हिन्दी विभाग की शिक्षिकाओं डॉ.कमला साँघी और डॉ. इंदुजा अवस्थी के प्रयासों से बनी इस नाट्य-समिति कोमन्नू भंड़ारी सहित पूरे हिंदी विभाग ने सुदृढ़ किया। मन्नू भंडारी और इंदुजा अवस्थी के अवकाश ग्रहण करने के बाद डॉ. शैल कुमारी और डॉ. अर्चना वर्मा ने इसे समृद्ध किया।इसी परंपरा और निरंतरता को बनाए रखने में हिंदी विभाग के वर्तमान सभी सदस्य प्रयासरत हैं। समय-समय पर अन्य विभागों की प्रध्यापिकाएँ भी इसमें अपनी भागीदारी निभाती रही हैं।छात्राएँ अपने भीतर की प्रतिभा को उभारें,अपने समय,समाज और परिवेश को समझते हुए अपनी आवाज़ बुलंद करें यही इस मंच का हासिल है। छात्राएँ इस मंच से हर वर्ष एक नुक्कड़ नाटक,एक एकांकी और एक पूर्णकालिक नाटक प्रस्तुत करती हैं। अधिकांशतः नुक्कड़ और एकांकी का लेखन-निर्देशन छात्राएँ स्वयं करती हैं और पूर्णकालिक नाटक की प्रस्तुति विशेषज्ञ के निर्देशन में होती है। प्रशिक्षित और अनुभवी निर्देशकों के साथ काम करने से छात्राओं को रंगकर्म की बारीकियों को समझने का मौका मिलता है साथ ही रंगक्षेत्र के अनुशासन का अनुभव होता हैं। ये अनुभव उनकी समझ और कार्यशैली को और पुख़्ता करता है। छात्राओं का ज्ञानकोश और अनुभव समृद्ध हो--- नाटकों का चयन भी इसे ध्यान में रखकर किया जाता रहा हैं। अपने चुने हुए मार्ग पर चलते हुए अनुकृति की छात्राओं ने देशी-विदेशी और लोक-प्रचलित नाटकों को खेला और इन नाटकों को खेलने के क्रम ने उन्हें क्लासिकल, पारंपरिक,पारसी,ग्रीक़ और ब्रेख़्तियन रंगशैली की विशेषताओं को बारीक़ी से समझने का मौका दिया। गोदान की प्रस्तुति से शुरू हुआ यह सफ़र गुडिया घर, यरमा, आषाढ़ का एक दिन,बिना दीवारों के घर, खेला पोलमपुर, ट्राय की औरतें, सुहाग के नुपूर, रेशमी रूमाल, जसमा ओडन, स्वप्नवासवदत्ता, ख्वाबे हस्ती, कैलासमानी,खूबसूरत बला, लाल कनेर, सीढ़ियाँ, मंटों की औरतें, अंधेर नगरी, खड़िया का घेरा, यह कहानी नहीं तक पहुँचा।इस वर्ष इस सफ़र का नया मुक़ाम रहा—सराब-ए-इलेक्ट्रा। सोफोक्लीज़ और यूरीपीडिज़ के टैज़िक नाटकों को करना किसी अनुभवी कलाकार के लिए भी चुनौती से कम नहीं हैं, ये जानते-बूझते हुए भी इसे करने का निर्णय लिया और छात्राओं ने कड़ी मेहनत और अभ्यास से इस नाटक को तैयार किया। नाटक की प्रस्तुति सफल और सराहनीय रही।अपनी इस यात्रा में अनुकृति को यह गर्व हासिल है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की प्रारंभिक प्रध्यापिकाएँ/निर्देशिकाएँ —अनुराधा कपूर,कीर्ति जैन,त्रिपुरारी शर्मा और हेमा सिंह इसी मंच से जुड़ी थी। अपनी विरासत को संजोते हुए अनुकृति कायह काँरवा इसी तरह आगे बढ़ता रहेगाइसके लिए हिंदी विभाग संकल्पबद्ध है।